दुनिया को कोरोना वायरस (Coronavirus Vaccine) महामारी देने वाले चीन ने भले ही उसके खात्मे के लिए वैक्सीन तैयार कर ली हो, लेकिन दुनिया को चीन की इस वैक्सीन पर विश्वास नहीं हो पा रहा है। अब श्रीलंका ने स्पष्ट कर दिया है कि उसे चीन द्वारा निर्मित कोरोना वैक्सीन सिनोफार्म पर भरोसा नहीं है। श्रीलंका ने चीनी वैक्सीन की आपूर्ति रोककर भारतीय वैक्सीन के इस्तेमाल का फैसला लिया है।



Trial नहीं हुआ है पूरा
श्रीलंका की सरकार की ओर से कहा गया है कि उसने चीन द्वारा निर्मित वैक्सीन पर
फिलहाल रोक लगाकर, भारत में निर्मित ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन (Oxford AstraZeneca vaccine) के इस्तेमाल का फैसला लिया है।
श्रीलंकाई कैबिनेट के प्रवक्ता डॉ. रमेश पथिराना ने कहा कि चीनी वैक्सीन सिनोफार्म के तीसरे चरण का ट्रायल अभी पूरा नहीं हुआ है। सिनोफार्म वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन का डोजियर भी हमें नहीं मिला है। इसलिए हम फिलहाल इसे कुछ समय के लिए होल्ड पर रख रहे हैं।
WHO ने नहीं दी मंजूरी
डॉ. पथिराना ने आगे कहा कि श्रीलंका सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute of India) में तैयार हुई एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन पर ही निर्भर है। जब चीनी कंपनी से जरूरी दस्तावेज मिलेंगे, उसके बाद ही उसकी वैक्सीन पर विचार किया जाएगा। हालांकि उन्होंने कहा कि सिनोफार्म वैक्सीन के पंजीकरण में अभी समय लगेगा। क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)ने अभी इसे मंजूरी नहीं दी है, यह अभी भी पेंडिंग में है।
10 मिलियन Doses की डील
प्रवक्ता ने इस संबंध में आगे कहा है कि रूसी वैक्सीन ‘स्पुतनिक 5’ को अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। इसलिए श्रीलंका अपने 14 मिलियन लोगों के वैक्सीनेशन के लिए भारत द्वारा निर्मित वैक्सीन पर ही निर्भर है। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंकाई कैबिनेट ने ‘मेड इन इंडिया’ वैक्सीन की 10 मिलियन खुराक खरीदने के लिए 52.5 million dollar की डील की है।
Brazil ने भी जताई थी शंका वैसे केवल श्रीलंका ही ऐसा देश नहीं है, जिसने चीनी वैक्सीन पर शंका जाहिर की है। इससे पहले, ब्राजील भी ऐसा कर चुका है। ब्राजील ने पिछले महीने कहा था कि सिनोवैक वैक्सीन Pfizer-BioNTech और मॉडर्ना (Moderna) द्वारा विकसित टीकों की तुलना में कम असरदार पाई गई है। इतना ही नहीं, ब्राजील के लेट-स्टेज ट्रायल में चीनी वैक्सीन की प्रभावकारिता भी महज 50.38 प्रतिशत पाई गई थी।